हरदा बसंत पंचमी माँ वीणा वादिनी सरस्वती का प्राकट्य उत्सव का दिन है हमे आज के कलुषित वातावरण मे बुद्धि ही नही सद्बुद्धि की भी जरुरत है जो हमे माँ सरस्वती की कृपा से ही मिलती।
हम गोदाम ही नही गौधाम भी वनाऐ ।
गोदाम यदि पूंजी प्राप्ती का साधन है तो गौधाम भी पुण्य प्राप्ती का साधन
है।, आज हमारी भारतीय संस्कृति की रीढ कही जाने वाली गौबंश रोड पर है, गौ रीढ है रोड पर शोभा नही देती, संपूर्ण गौबंश कृषि वालो के सहारे था पर समय बदल गया कृषि वालो ने गाय की जगह गाडी ले आऐ तो जगह कम पड गई, फिर कुर्सी वालो से उम्मीद लगाई पर कुर्सी वालो की आशा से भी निराशा हाथ लगी।, थोडा बहुत ऋषि परम्परा से गौ माता को सहारा मिला, गौबंश का रोड पर आना भविष्य के लिऐ अच्छा संकेत नही है।, ऋषि, कृषि और कुर्सी से जन साधारण तक चिंतनीय विषय है।यह बात पं. नीरज महाराज ने कुशवाह परिवार द्वारा हरदा मे चल रही भागवत कथा मे बालकृष्ण के जन्म उत्सव मे कही, समुद्र के मंथन से अमृत निकला जो हर जीवआत्मां से परे था पर इस धरा पर गैया और मैया ने ही उस अमृत को अधरा अमृत के रूप मे पिलाकर हमे सक्षम वनाया। धर्म और अमृत के मामले मे राक्षस एक हो गये थे तो हम तो मनुष्य है ।हम भी एक रहे,घर की लडाई का समझौता सरल है पर धर्म की लडाई का समझौता कठिन है अंग्रेजी भाषा का एक शब्द है कि हम क्वान्टिटी मे ही नही क्वालिटी मे भी आगे रहे, कौरवो के पास संख्या ज्यादा थी साथ ही श्री कृष्ण जी की पूरी सेना भी थी पर स्वयं सेनापति कृष्ण पांडव और धर्म के पक्ष मे थे । वही आज कथा के चतुर्थ दिवस में व्यासपीठ से भगवान श्री कृष्ण की जन्म की कथा श्रवण कराई गई। पूरा कथा पंडाल नंद घर आनंद भयो के साथ पूरा कथा स्थल धर्म मय हो गया।
हरदा से श्रीराम कुशवाहा की रिपोर्ट