<main class="main_control" role="main"><main class="main_control" role="main"><section id="news_details" class="news_details_page ng-scope"> <div class="container"> <div class="row"> <div class="col-xl-12"> <div class="search_bar_option"> <div class="form-inline w-100"> <div class="form-group col-lg-5 col-md-6"><label class="col-lg-2 col-form-label" for="staticEmail"><span style="font-size: 15px;">जबलपुर, 21 जनवरी, 2023 हाई कोर्ट जस्टिस श्री रोहित आर्या ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मध्यप्रदेश की ई-कोर्ट कमेटी सभी के सहयोग से अच्छा कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि हाई कोर्ट द्वारा लागू किये गये प्रोजेक्ट ई-सर्टिफिकेट कॉपी की प्रशंसा देश में की जा रही है। उन्होंने बताया कि प्रदेश के इन्टीग्रेटेड वीडियो सर्विलांस सिस्टम (आईवीसीएस) की भी तारीफ की जा रही है। उन्होंने सभी विभाग प्रमुखों को आमजन को सहज तरीके से न्याय उपलब्ध कराने ई-कोर्ट संबंधी सभी पेंडिंग कार्यों को तत्परता से पूरा करने के निर्देश दिये। जस्टिस श्री आर्या प्रशासन अकादमी में ई-कोर्ट कमेटी के कार्यों की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार श्री फसाहत काजी भी मौजूद रहे। इंटेरोपेरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (आईसीजेएस) की समीक्षा में अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजेश राजौरा ने बताया कि बेहतर इन्वेस्टीगेशन के लिये पुलिस विभाग में अधीनस्थ अधिकारियों को एक हजार टेबलेट दिये गये हैं। साथ ही 26 हजार टेबलेट और प्रदान करने की कार्यवाही चल रही है। एडीजी एससीआरबी श्री चंचल शेखर ने आईसीजेएस सिस्टम को प्रभावी बनाने प्रदेश में किये जा रहे उपायों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार को ई-विवेचना एप के लिये देश में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है। ई-चालान और पीओएस मशीन से 27 करोड़ रूपये से अधिक की वसूली की गई है। जस्टिस श्री आर्या ने समय-समय पर ऑडिट करने और डाटा अपडेट करने के निर्देश दिये। उन्होंने आईसीजेएस सिस्टम को और अधिक पुख्ता बनाने एनआईसी भोपाल के अधिकारियों को पुणे के अधिकारियों से चर्चा करने के निर्देश भी दिये। उन्होंने कहा कि आवश्यकता होने पर राज्य स्तरीय ई-कोर्ट कमेटी की बैठक में लिये गये निर्णयों से उन्हें भी अवगत कराएँ। पुख्ता विवेचना के लिये फॉरेंसिक साइंस लेब की संख्या बढ़ाने के भी निर्देश दिये गये। अपर मुख्य सचिव गृह डॉ. राजौरा ने बताया कि ग्वालियर सहित 4 लेब कार्य कर रही है। रीवा और रतलाम में भी लेब के लिये स्वीकृति मिल गई है। वर्तमान में प्रति माह 600 सेम्पल की जाँच की जा रही है। पहले मात्र 250 की ही जाँच हो पा रही थी। जस्टिस श्री आर्या ने इसे बढ़ा कर 1000 प्रतिमाह तक करने के निर्देश दिये। जस्टिस श्री आर्या ने वित्त विभाग के सचिव को हाई कोर्ट एवं ई-कोर्ट के लिये आवश्यकतानुसार पद स्वीकृति के लिये आवश्यक कार्यवाही तत्परता से करने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन के अभाव में ई-कोर्ट कमेटी के निर्देशों के पालन में कठिनाई हो रही है। जस्टिस श्री आर्या ने एनआईसी को बेहतर विवेचना के लिये सभी संबद्ध विभागों में बेहतर समन्वय के लिये सभी विभागों को एक डेशबोर्ड पर लाने की कार्यवाही करने को कहा। उन्होंने कहा कि इससे विवेचना बेहतर होगी और सकारात्मक परिणाम मिलेंगे। उन्होंने सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक एमएलसी और पोस्ट-मार्टम की सुविधा उपलब्ध कराने के लिये कार्यवाही करने के निर्देश दिये। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को भी मेन पावर प्रबंधन के लिये फायनेंस से चर्चा करने को कहा गया। ग्रामीण विकास विभाग की समीक्षा करते हुए प्रदेश की समस्त पंचायतों में ई-सेवा केन्द्र प्रारंभ करने के निर्देश दिये गये। संचालक पंचायत राज श्री अमरपाल सिंह ने बताया कि प्रदेश की 3 हजार 600 पंचायतों में ई-सेवा केन्द्र शुरू हो चुके हैं। उन्होंने कमेटी को आश्वस्त किया कि अगले 6 माह में शेष पंचायतों में भी ई-सेवा केन्द्र शुरू कर दिये जायेंगे। जस्टिस श्री आर्या ने बताया कि प्रदेश के हाई कोर्ट और दोनों खण्डपीठ में 22 करोड़ और डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 60 करोड़ पेज डिजिटाइज किये गये हैं। उन्होंने प्रमुख सचिव विधि श्री विनोद कुमार द्विवेदी को वित्त विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा कर सभी लंबित प्रकरणों के निराकरण के निर्देश दिये। महानिदेशक जेल श्री अरविंद कुमार, डीजी प्रॉसिक्यूशन श्री अन्वेष मंगलम एवं अन्य विभागों के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे</span> </label></div> </div> </div> </div> </div> </div> </section></main></main>