विदिशा जिला ब्यूरो मुकेश चतुर्वेदी
गंजबासौदा। कथा के विश्राम दिवस कथा वाचक कृष्णा माँ ने व्यसन में रत लोगो को पशु के समान बताया ,उन्होंने कहा कि पृथ्वी को सबसे अधिक पान मसाला और जर्दा गुटका का सेवन करने वालों ने खराब किया है। मादक पदार्थो ओर जर्दा पाउच खाने वाले पूरे समय पशुओं की तरह जुगाली करते है।
मनुष्य जब तक सतसंग में रहता है वह मनुष्य रहता है। जिसके पास मन नही वह पशु है।जिनके पास मन है वह मनुष्य है। जो मनुष्य मन से नीचे गया तो पशु के समान है और जो मनुष्य मन से ऊपर उठ गया वह सद्गुरु हो गया।आपकी माँ आपसे जितना स्नेह करते हो उतना ही भगवान आपसे उतना ही प्रेम करता है।जैसे पिता की सम्पूर्ण संपत्ति उसकी संतान की होती है वैसे ही भगवान की आप संतान हो वह सब कुछ आपके देता है। भगवान को अपना सर्वस्व न्योछावर कर दो सब कुछ मिल जाएगा।
जहां नारी का सम्मान होता है ओर पति पत्नी में स्नेह रहता है वहाँ भगवान वास होता है।नारियों को भी अपने पतियों का सम्मान और सेवा करना चाहिए। कथा के दौरान कथावचक कृष्णा माँ ने ज्योतिष का उदाहरण देते हुए कहा कि पति के घुटनो के नीचे ओर पंजो के ऊपर शनि देव का वास होता है।और महिलाओं के हाथों शुक्रदेव का वास होता है।इस लिए महिलाओं को अपने अपने पतियों पैर दबाना चाहिए।क्योकि जब शनि और शुक्र का मिलन होता तो वहां संपन्नता होती है। वहाँ धन की कमी नही रहती।
संतो के सानिध्य से हमारे भाग्य में नही वह भी मिल जाता है
मनुष्य को 24 घँटे में एक बार भगवान का भजन करना चाहिए। सतसंग से मनुष्य का भाग्य उदय होता है। संतो के वचन को हमेशा अपने मन मे स्मरण करते रहना। भगवान के नाम की जुगाली करते रहने से मनुष्य मन का मेल धुल जाता है। साधुओं की कृपा से सुग्रीम को राम मिले और विभीषण को भी राम मिले। राम मिलाए राज पद दीन्हा। संतो के सतसंग ओर कृपा से हमे वह भी मिल जाता है।जो हमारे भाग्य में नही होता।
भगवान निर्मल मन को ही अपनी कृपा करते है।आज के समय में
नारायण सेवा संस्थान उदयपुर के सहयोग से आस्था भजन पर कथा लाइव किया जा रहा है।