रिपोर्टर प्रदीप गुप्ता
भोपाल / न्याय में हुआ बिलंब लेकिन अंततः मिला इंसाफ, फरियादी को 50 से अधिक बार उपस्थित होना पड़ा कोर्ट में। 3 साल 10 महीने तक चलता रहा था फरियादी का प्रति परीक्षण। जनसंपर्क अधिकारी /एडीपीओ भोपाल मनोज त्रिपाठी ने बताया कि श्रीमती अंकिता श्रीवास्तव न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी भोपाल ने 11 वर्ष पुराने प्रकरण में पीड़िता को न्याय प्रदान किया। न्यायालय ने पीड़िता के साथ दहेज को लेकर क्रूरता करने वाले पति अबरार पिता अनीस खान उम्र 38 वर्ष एवम सास रामकुमारी उर्फ रेहाना पति अनीस खान उम्र 62 वर्ष सभी निवासी- सेंट्रल लाइब्रेरी के पीछे इतवारा रोड भोपाल को धारा 498A भादवि में 1 – 1 वर्ष का सश्रम कारावास एवम 500-500 रुपये के अर्थदंड से दंडित किया। पुराने मामले में अभियोजन की ओर से एडीपीओ मनोज त्रिपाठी ने पूरी परिस्थितियों को समेकित करते हुए ,फरियादी के 50 से अधिक बार न्यायालय उपस्थित होने तक लगभग 4 वर्ष तक उसका क्रॉस एग्जामनेशन चलते रहने के बिंदु को उठाते हुए, फरियादी को इंसाफ प्रदान करने की मांग अंतिम तर्क के दौरान रखी थी।जिससे सहमत होते हुए न्यायालय ने आरोपी को दोषसिद्ध किया। श्री त्रिपाठी के अनुसार दिनांक 24/10/ 2011को फरियादी जेबा खान ने महिला थाने में इस आशय की रिपोर्ट दर्ज कराई कि उसका विवाह 2008 में आरोपी अबरार के साथ हुआ था। शादी के बाद से ही पति अबरार एवम सास रामकुमारी उर्फ रेहाना कम दहेज को लेकर ताने देने लगे और उसके साथ मारपीट करने लगे 5 लाख रुपये मायके से लाने के लिए पीड़िता पर दबाव बनाया जा रहा है। उसने दो बार -50-50 हजार रुपये नगद आरोपियों को दिए भी, लेकिन उसके साथ प्रताड़ना कम नही हई। उसने इसके पूर्व भी रिपोर्ट दर्ज कराई थी, तब आरोपीगण उससे समझौता कर उसे ले गए। लेकिन फिर उसके साथ क्रूरता की जाने लगी है, तब थाने द्वारा रिपोर्ट दर्ज कर विवेचना उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया गया था।