प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/ द्वितीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश इटारसी सुश्री सविता जडिया द्वारा एक महत्वपूर्ण एवं चिन्हित प्रकरण में आरोपी बृजेश बामने को नाबालिग पर लैंगिक हमला करने से अभियोक्त्रिी के गर्भवती होने के कारण आरोपी को धारा 5(जे)(2)/6 पाक्सो एक्ट की धारा में 20 वर्ष का सश्रम कारावास तथा धारा 3/4 पाक्सो एक्ट व धारा 376(1) भादवि के अंतर्गत 10-10 वर्ष का सश्रम कारावास एवं 500-500 रूपये का अर्थदंड से दंडित किया। घटना इस प्रकार है कि दिनांक 22.10.2017 को अभियोक्त्रि के पिता द्वारा थाना तलैया भोपाल में रिपोर्ट लेख करायी कि दिनांक 21.10.2017 को उसकी बच्ची आयु 17 वर्ष को अचानक झटके आने लगे। जिसे इलाज के लिये सरकारी अस्पताल इटारसी लेकर गये। वहां से उसकी बच्ची को अस्पताल नर्मदापुरम रेफर किया गया। जहां से भोपाल अस्पताल रेफर किया गया। उसकी बच्ची को करीब 8-10 दिन पहले से पैंरो में सूजन आ रही थी। इलाज के दौरान पता चला कि वह गर्भवती है। उसकी बच्ची ने बताया कि आरोपी बृजेश बामने पिता शिवकुमार बामने के शारीरिक संबंध बनाने से वह गर्भवती हुई है । उसकी बच्ची का इलाज के दौरान सुल्तानिया अस्पताल में ही निधन हो गया। पुलिस ने 376 भादवि एवं 3/4 पाक्सों अधिनियम के अंतर्गत प्रकरण पंजीबद्ध कर असल कायमी हेतु थाना इटारसी भेज दिया। जहां असल कायमी की गई और प्रकरण विवेचना में लिया गया। अनुसंधान उपरांत न्यायालय में धारा 376, 376(1) भादवि एवं 3/4, 5(जे)(2) पाक्सों एक्ट के अंतर्गत अभियोग पत्र पेश किया। एच एस यादव अति जिला अभियोजन अधिकारी ने बताया कि महत्वपूर्ण बात यह रही कि अपराध की पीडिता की मृत्यु इलाज के दौरान हो गयी थी। उसकी बेहोशी की हालत होने के कारण पुलिस द्वारा कथन लेखबद्व नहीं किया जा सका और न ही धारा 164 द.प्र.स. का कथन लेखबद्ध कराया जा सका। पीडिता की मृत्यु होने के उपरांत उसके गर्भ का मृत भ्रूण निकाला गया और उस भ्रूण एवं आरोपी बृजेश बामने के रक्त के नमूने को डीएनए परीक्षण हेतु एफएसएल भेजा गया। एफएसएल की रिपोर्ट में मृतिका के मृत भ्रूण को मृतिका और आरोपी की जैविक संतान होना बताया गया। विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से मृतिका का घटना के समय नाबालिग सिद्ध करना बडी चुनौती थी। इसके लिये मृतिका के पिता के कथन एवं मृतिका के प्राथमिक स्कूल के दस्तावेज को न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत कर परीक्षण कराया गया । जिसमें अभियोजन मृतिका/पीडिता को नाबालिग साबित करने में सफल रहा । उपरोक्त साक्ष्य एवं एफएसएल से प्राप्त डीएनए रिपोर्ट के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी के विरूद्ध आरोप प्रमाणित होना पाया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुये प्रकरण को प्रशासन द्वारा चिन्हित प्रकरणों की श्रेणी में शामिल किया गया था। शासन की ओर से एच एस यादव अति जिला अभियोजन अधिकारी, इटारसी द्वारा पैरवी की गई।