प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/ श्रद्धा हत्याकांड के विरोध में नेहरू पार्क से नागरिकों द्वारा मार्च एवं मानव श्रृंखला निकाली गई, वजह फिर वही कि दिल्ली में श्रद्धा के 35 टुकड़े पूरे देश को झकझोरने वाली विभत्स घटना है, और पूरी मानवता पर कलंक है। श्रद्धा के साथ जो हुआ वो आज प्रत्येक व्यक्ति को विचार करने पर मजबूर करता हैं कि समाज के तौर पर हम कहां जा रहे हैं? क्या हमारी संताने और हम अपने संस्कार, अपनी संस्कृति भूल रहे हैं? हमारी बेटियाँ भूल गई हजारो पदमावती को जिन्होंने जौहर (आग के कुंड में कूद कर प्राण त्याग) कर लिया पर अपना मुख तक विधर्मियों को देखने नहीं दिया। क्या माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की कमी हो रही हैं? बच्चों की उपेक्षा हो रही हैं? इस विषय में विचार का समय आ गया हैं। श्रद्धा, निधि, अंकिता, निकिता , राखी और हत्यारे आफताब, जुवेर, जाहिद, अव्दुल ये नाम है सूची बड़ी लंबी हैं। इस चैन को तोड़ना हैं, हत्यारों को रोकना हैं। बहन बेटियों को समझाना हैं। एक सक्षम, संस्कारी, प्रखर, सुरक्षित भावी पीढ़ी तैयार करना है, कार्यक्रम में उपस्थिति देकर इस प्रयास मे अपना योगदान दे की हम नर्मदापुरम में किसी श्रद्धा के साथ ऐसा नहीं होने देंगे।