निर्दोषों को बनाया बलि का बकरा
नटवरलाल श्रेष्ठ अवरिया इंडसइंड बैंक का रिलेशन मैनेजर अभी भी फरार
सिवनी केवलारी -राजस्व विभाग में कार्यरत नायाब नाजिर सचिन दहायत ओर उसका दोस्त श्रेष्ठ अवधिया पिता लक्ष्मन अवधिया ने कोरोना कालखंड के लाकडाउन समय से लेकर पकड़ में आने तक आरबीसी के नियम 4-6 के तहत: प्रकृति आपदाओं में मृत व्याक्तियो के परिवार जनों को आर्थिक सहायता राशि चार लाख रुपए देने का प्रावधान है। फर्जी तारीको से प्रकरण तैयार कर कथित नायाब नाजिर सचिन दहायत ने अपने सहयोगियों के साथ कुटरचित षड़यंत्र रचकर नगर का नटवरलाल श्रेष्ठ अवधिया जो कि इंडसइंड बैंक सिवनी में रिलेशन मेनेजर के पद पर कार्यरत होते हुए बैक में काम कर रहे कर्मचारियों व उनके परिवार जनों से अपने भाई का मंडला जिले में पेट्रोल पंप का पेमेंट खाते में आने का षड़यंत्र रच लोगों को गुमराह कर खातो में शासकीय राशी ट्रांसफर करवाता रहा।खाता धारकों के खाते में आयी राशि को श्रैष्ठ अवधिया द्वारा अपने निजी खाते में फोन पेय आरटीजीएस व नगद राशि के माध्यम से लेते रहा। जिन खातेदारों के खाते में राशि आ रही थी उन्हें भी यह अंदाजा नहीं था यह शासकीय राशि खाते में आ रही है। श्रेष्ठ अवधिया रिलेशन मेनेजर के पद पर इंड सइंड बैक सिवनी के द्वारा उपयोग कर रहे खाते धारकों को एक दिन पहले ही बता देता था कि कल पेट्रोल पंप की राशि जमा होगी,ऐसी सोची समझी चाल में उलझाकर निर्दोषों को फंसा दिया गया। जन चर्चा तो यही भी कि बीते दो साल में करोड़ों का गबन कर सचिन दहायत नायाब नजीर ओर श्रेष्ठ अवधिया ने बेशकीमती वाहनों की खरीदी ,आलीशान भवनों का निर्माण ,प्रापर्टीयो की खरीदी, राजशी शादी , विदेशी हवाई यात्रा करते रहे।दिलचस्प बात यह है कि 279 जीवित लोगों को मृत बताकर 4- 4लाख राशि एक ही व्यक्ति के खाते में अनेको मार्तबा लगातार डाली गई और इसकी भनक यहां बैठे ना तो अधिकारियों को लगी और ना ही ट्रेजरी अधिकारी ने इस बात को गंभीरता से लिया।प्राकृतिक आपदा में हुई मृत्यु की राहत राशि एक ही खातों में आनेको मर्तबा कैसे ट्रांसफर की गई यह भी एक षड्यंत्र का हिस्सा है लेकिन वर्तमान समय में वे परिवार मुसीबत के शिकार हो गए जिनको इस प्रकरण से दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं है। स्थानीय प्रशासन ने नायाब नाजिर सचिन दहायत के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर दिया है, लेकिन अभी तक मुख्य आरोपी गिरफ्त से बाहर है।