सिहोरा से रिजवान मंसूरी
सिहोरा:- वर्ष 2001 में जिला बनने की पहली घोषणा के बाद 21 वर्ष गुजर गए पर सिहोरा जिला स्वरूप में स्थापित न हो सका।इन इक्कीस वर्षो में सिहोरावासियों ने प्रदेश और देश की सत्ता में अपना लगातार जनप्रतिनिधि भेजा पर सत्ता ने सिहोरा के वनवास को खत्म करने का कोई कदम नही उठाया।यह पीड़ा लक्ष्य जिला सिहोरा आंदोलन समिति ने अपने आंदोलन के 58 वें धरने में व्यक्त की।
समिति के विकास दुबे,मानस तिवारी,कृष्णकुमार क़ुररिया ने अपने उद्बोधन में कहा कि 2003 में सिहोरा को जिला बनाने की सभी विभागीय प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई थी और निर्णय लिया गया था कि 26 जनवरी 2004 से सिहोरा विधिवत रूप से जिले के अस्तित्व में आ जाएगा।इसके बाद 2004 में तत्कालीन सरकार ने यह बयान जारी करते हुए सिहोरा जिला को स्थगित किया कि प्रदेश की माली स्थिति अच्छी नही है।परंतु इस बयान के बाद भी प्रदेश में अनेक नए जिलों का गठन किया गया।सिहोरा की उपेक्षा निरंतर की गई।समिति ने संकल्प दोहराया कि जब तक सिहोरा जिला रूप में नही आता आंदोलन जारी रखा जाएगा।
आंदोलन के 58 वें धरने में अर्णव शिक्षा समिति से प्रीति ठाकुर,मनीष ठाकुर एवम समिति से सुशील जैन,रामजी शुक्ला,अमित बक्शी,सेंकी जैन,रामलाल साहू,नत्थू पटेल,पन्नालाल झारिया, उमेश पटेल,मनीष ठाकुर,प्रीति ठाकुर सहित अनेक सिहोरावासी मौजूद रहे।