• मुखपृष्ठ
  • नियम एवं शर्ते
  • गोपनीयता
  • खंडन
  • शिकायत/ सुझाव
  • हमारे बारे में
  • संपर्क
No Result
View All Result
Sunday, June 15, 2025
MP NEWS CAST
NEWSLETTER
  • Home
  • हमारा शहर
  • प्रादेशिक ख़बरें
    • मध्यप्रदेश
      • भोपाल
      • अनुपपुर
      • दमोह
      • कटनी
      • सागर
      • उत्तरप्रदेश
        • अयोध्या
        • आगरा
        • कन्नौज
        • कौशांबी
        • चंदौली
        • चित्रकूट
        • जालौन
        • जौनपुर
      • उत्तराखण्ड
        • नैनीताल
      • गुजरात
        • अहमदाबाद
      • राजस्थान
        • भरतपुर
  • पॉलीटिक्स
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यवसाय
  • स्वास्थ्य
  • Home
  • हमारा शहर
  • प्रादेशिक ख़बरें
    • मध्यप्रदेश
      • भोपाल
      • अनुपपुर
      • दमोह
      • कटनी
      • सागर
      • उत्तरप्रदेश
        • अयोध्या
        • आगरा
        • कन्नौज
        • कौशांबी
        • चंदौली
        • चित्रकूट
        • जालौन
        • जौनपुर
      • उत्तराखण्ड
        • नैनीताल
      • गुजरात
        • अहमदाबाद
      • राजस्थान
        • भरतपुर
  • पॉलीटिक्स
  • मनोरंजन
  • लाइफ स्टाइल
  • व्यवसाय
  • स्वास्थ्य
No Result
View All Result
MP NEWS CAST
No Result
View All Result
Home मध्यप्रदेश दमोह

कुंडल की तरह है मंदिर सभी1100साल पुराने विद्यासागर महाराज के 22प्रवास कुंडलगिरि कोनी जी मंदिरों के समृद्ध इतिहास और रहस्यों के साथ कहानी कहता जिनालय

by Manish Gautam Chiefeditor
September 6, 2022
in दमोह
0
कुंडल की तरह है मंदिर सभी1100साल पुराने विद्यासागर महाराज के 22प्रवास कुंडलगिरि कोनी जी मंदिरों के समृद्ध इतिहास और रहस्यों के साथ कहानी कहता जिनालय
0
SHARES
0
VIEWS
FacebookTwitterWhatsappTelegram

अभिषेक रजक पाटन/जबलपुर!*-देश में यूं तो अनेक जैन मंदिर मौजूद हैं, लेकिन मध्यप्रदेश के जबलपुर जिले व इसके आसपास ऐसे बहुत से जैन मंदिर हैं जो सदियों पुराने कहे जा सकते हैं, लेकिन इनमें भी कुंडलगिरि कोनी जी मंदिर की बात ही निराली है।

कुंडल गिरी कोनी जी विंध्याचल पर्वत श्रृंखला के भांडेर पर्वत की तलहटी में बहती हिरण नदी के निकट बसा है। इतिहास और पुरातत्व के जानकार पंडित बलभद्र जैन ने लेख में बताया है कि कुंडल गिरी कोनी जी का संपूर्ण पुरातत्व 11वीं एवं 12वीं शताब्दी का प्रतीत होता है। सहस्त्रकूट चैत्यालय और नंदीश्वर जिनालय भी समकालीन अथवा उत्तर कालीन लगते हैं।
*13 की खोज, 9 का जीर्णोद्धार हुआ*
लोगों के अनुसार सबसे अच्छी बात यह है कि यहां के मंदिर अपने मूल स्वरूप में आज भी मौजूद व सुरक्षित हैं। जबकि वे जीर्णशीर्ण हो गए थे इसके बावजूद इस रूप में भी तत्कालीन इतिहास और कला को अपने में संजय हुए खड़े रहे, हालांकि अब इनका जीर्णोद्धार हो चुका है।
इसके अलावा क्षेत्र के आसपास प्राचीन मंदिरों की शिलाएं, स्तंभ तथा अन्य सामग्री बिखरी पड़ी है। जैनियों के स्वर्णिम काल में कोनी जी तीर्थ में कितने मंदिर रहे इसका कोई साक्ष्य नहीं है। सन 1934 में भारतवर्षीय दिगंबर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी बंंबई के प्रचारक पन्नालाल जैन ने अपनी रिपोर्ट लिखा कि क्षेत्र में 13 मंदिरों के दर्शन किए, जबकि फरवरी 1944 में गठित जीर्णोद्धार समिति को मात्र 9 जिनालय मिले थे अर्थात मात्र 10 वर्षों में 4 मंदिर और धराशाई हो चुके थे।
*कलात्मक शैली के कारण मशहूर*
कोनी जी में कुछ मंदिरों और मूर्तियों पर 10 वीं – 11 वीं शताब्दी की कलचुरी कालीन कला का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित है। यहां प्रतिमाएं पद्मासन और कायोत्सर्गासन दोनों ध्यान आसनों में देखी जा सकती हैं। सप्तफणावली मंडित श्वेत पाषाण की 4 फीट पद्मासन भगवान पाश्र्वनाथ की भव्य चित्ताकर्षण प्रभाव उत्पादक प्रतिमा मूल रूप में विराजमान है। इन्हें विघ्नहर चिंतामणि पार्श्वनाथ भक्तों द्वारा कहा जाता है।
विशेष उल्लेखनीय रचनाओं में सहस्त्रकूट चैत्यालय एवं नंदीश्वरदीप की रचनाएं हैं जो अपनी कलात्मक शैली के कारण अत्यंत कलापूर्ण बनाई गई हैं। इतिहासकारों की मानें तो इस प्रकार की शैली के जिनालय अन्य कहीं और देखने नहीं मिलते हैं।
*आज भी रहस्य है गर्भ ग्रह में*
जैनधर्मियों के अनुसार यहां का गर्भ ग्रह मंदिर जिसे सहस्त्रकूट जिनालय कहते हैं अपने विशिष्ट बनावट और रहस्य के लिए जाना जाता है। ये आज भी कौतूहल का विषय है। यहां शीत ऋतु में इस मंदिर में प्रवेश करने पर ठंड के बजाए गर्मी का एहसास होता है, वहीं गर्मी के दौरान यह अत्यंत शीतलता प्रदान करने वाला महसूस होता है।
इसके अलावा सहस्त्रकूट चैत्यालय के सभी फलक एक अष्टकोणीय चबूतरे में जोड़े गए हैं। जिनकी मूर्तियों का योग 1008 है। यक्षिणी एवं पद्मावती की प्रतिमाएं भी बेहद सुंदर हैं। यह मूर्तियां कलचुरी कालीन उत्कृष्ट कला का प्रतीक हैं। वर्तमान शासन नायक तीर्थंकर महावीर स्वामी की खडग़ासन प्रतिमा दक्षिणात्य जैन कला का नमूना है।

Share this:

  • Click to share on Facebook (Opens in new window) Facebook
  • Click to share on WhatsApp (Opens in new window) WhatsApp

Like this:

Like Loading...
Manish Gautam Chiefeditor

Manish Gautam Chiefeditor

Next Post
टाका हेल्थकेयर ने जबलपुर में त्रिवेणी हॉस्पिटल के साथ साझेदारी की, उच्च गुणवत्ता वाली सर्जरी को सभी के लिए सुलभ बनाया भारत की सबसे तेजी से बढ़ते नैतिक एवं स्थायी हेल्थ टेक

टाका हेल्थकेयर ने जबलपुर में त्रिवेणी हॉस्पिटल के साथ साझेदारी की, उच्च गुणवत्ता वाली सर्जरी को सभी के लिए सुलभ बनाया भारत की सबसे तेजी से बढ़ते नैतिक एवं स्थायी हेल्थ टेक

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

© 2020 MP News Cast - Director Manish Gautam.

No Result
View All Result
  • About Us
  • Client Portal
  • Complaints and Feedback
  • Contact
  • Home 1
  • Privacy Policy
  • Privacy Policy
  • Rules and Regulations

© 2020 MP News Cast - Director Manish Gautam.

%d