MPNEWSCAST मनीष गौतम
जल गंगा संवर्धन में रूचि नहीं लेने और विभागीय गतिविधियों का क्रियान्वयन नहीं करने वाले सात विभागों के जिलाधिकारियों को कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। इस नोटिस का जवाब संबंधित अधिकारियों को 7 दिवस के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
इन्हें मिला नोटिस
जल गंगा संवर्धन अभियान के कार्यों में संतोषजनक कार्य नहीं करने पर जिन अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है उनमें कार्यपालन यंत्री नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण, कार्यपालन यंत्री जल संसाधन विकास, महाप्रबंधक औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन एवं सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग तथा कार्यपालन यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग, उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विभाग, सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग और जिला शिक्षा अधिकारी शामिल है।
इन दायित्वों का नहीं किया निर्वहन
जारी कारण बताओ नोटिस के अनुसार नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को बांध स्थलों तथा अन्य विभागीय महत्व की संरचनाओं पर जल से संबंधित स्लोगन का अंकन कार्य, बांध, कंट्रोल स्ट्रक्चर एवं मुख्य नहर के हेड स्लूज के आस-पास झाड़ी, पेड़ पौधों की छटाई एवं साफ-सफाई कर स्थल का सौंदर्यीकरण, विभाग अंतर्गत नहरों की वृहद साफ-सफाई और अनुरक्षण के कार्य, कॉलोनी में रिक्त स्थानों पर सघन पौधारोपण की तैयारी, जल की उपयोगिता एवं महत्व की जानकारी आम जनों तक पहुंचाने हेतु जल उपरोक्ता संथाओं के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर अभियान तथा जल संवर्धन हेतु। बांध स्थल पर कृषकों की कार्यशाला का आयोजन का दायित्व सौंपा गया था। जो नहीं कराया गया।
इसी प्रकार जल संसाधन विभाग को विभाग के अंतर्गत सभी प्रकार की नहरों को विलेज मेप पर राजस्व विभाग की सहायता से मार्क कर “शासकीय नहर” अंकित किया जाना, बांध तथा नहरों पर अतिक्रमण की स्थिति में अतिक्रमण मुक्त किया जाना, सभी 40 हजार किलोमीटर की नहर प्रणाली में घास, झाड़ी, छोटे पेड़-पौधे आदि की सफाई का कार्य किया जाना, नहर के अंतिम छोर पर जहां नहर समाप्त होकर किसी नाले में मिलती है उस स्थान पर किलोमीटर स्टोन लगाया जाना, मध्यम एवं लघु परियोजनाओं में रखरखाव एवं मरम्मत के अनुमत्य अपूर्ण कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर पूर्ण करना, लघु जलाशय में रिसाव रोकने के लिये पडल तथा आवश्यक हर्टिंग कार्य, तालाब के पाल (बंड) की मिट्टी के कटाव अथवा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में पुनः निर्मित किये जाने का कार्य, तालाबों की पिचिंग, बोल्डर टो तथा घाट आदि के मरम्मत का कार्य, स्टापडेम, बैराज, वियर में गेट लगाना तथा मेनवाल, साईडवाल, की-वाल, एप्रॉन इत्यादि में मरम्मत/अतिरिक्त निर्माण कार्य, जल संरचनाओं के किनारों पर यथासंभव बफर जोन तैयार कर किनारों पर अतिक्रमण को रोकने के लिये फेंसिंग के रूप में वृक्षारोपण का कार्य, फ्लशबार की मरम्मत कार्य, स्लूस वेल की सफाई कार्य का कार्य सौंपा गया था। जिसे पूर्ण नहीं कराया गया।
अभियान के तहत महाप्रबंधक औद्योगिक नीति एवं निवेश प्रोत्साहन एवं सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विभाग को औद्योगिक इकाईयों को रूफ वाटर आर्वेस्टिंग हेतु प्रेरित करना, विभाग अंतर्गत औद्योगिक क्षेत्रों तथा वृहद औद्योगिक इकाईयों में पौधारोपण की कार्य योजना तैयार करना, पौधारोपण अभियान हेतु सी.एस.आर. का दायित्व दिया गया था। जिसे पूर्ण नहीं किया गया।
इसी प्रकार लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी को समस्त एकल नल जल योजनाओं के स्रोतों की जियो टैगिंग करने, चिह्नित तालाब एवं नदी नालों के अंदर अथवा उसके नजदीक में स्थित पेयजल स्त्रोतों के पुनर्भरण हेतु रिर्चाज सॉफ्ट संरचना निर्माण, नल जल योजनाओं के अंतर्गत पाईप लाइन लीकेज व टपकते नल सुधार और पानी के अपव्यय के समस्याओं के निराकरण हेतु आवश्यक कदम उठाने का कार्य सौंपा गया था। जिसे करने में रूचि नहीं प्रदर्शित की गई।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि योजना के अवयव “पर ड्रॉप मोर क्रॉप” अंतर्गत कृषकों को स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सुविधा प्रदाय कर लाभान्वित करना, बलराम तालाब बनाकर किसानों को लाभान्वित कराने का दायित्व सौंपा गया था। लेकिन कोई ठोस प्रगति परिलक्षित नहीं हुई।
उद्यानिकी विभाग को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अवयव पर ड्रॉप मोर क्रॉप” अंतर्गत कृषकों को स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सुविधा प्रदाय कर लाभान्वित करना, जिले के सभी विकास खंडों में जल के उचित प्रबंधन हेतु सूक्ष्म सिंचाई के उपयोग पर कार्यशालाएं आयोजित करना, विभागीय योजनाओं, अन्य विभागों से अभिसरण एवं निजी प्रयासों से प्रदेश में आम, अमरूद, नींबू, आंवला आदि फलदार पौधों के रोपण हेतु आवश्यक तैयारियां करना, प्रस्तावित पौधरोपण अभियान हेतु विभागीय नर्सरियों से 25 लाख से अधिक फलदार पौधों की व्यवस्था करना, मानसून के दौरान नदियों के तटों पर उद्यानिकी पौधारोपण की योजना तैयार कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन इसे पूर्ण नहीं किया गया।
जबकि शिक्षा विभाग को विद्यालयों (कक्षा 9वीं से 12वीं में निम्न विषयों पर निबंध, पोस्टर, रंगोली, परिचर्चा एवं संवाद का आयोजन, जल संरक्षण के क्षेत्र में कार्य करने वाले महत्वपूर्ण व्यक्ति, जल संरक्षण और संवर्धन का महत्व और इस हेतु उपाय, वृक्ष और जल संवर्धन के मध्य संबंध, विश्व जल दिवस, नदी को जानों, जल जागरूकता, जल संकट रोकने के उपाय, सभी शालाओं में पीने के पानी की समुचित व्यवस्था के लिए जल भंडारण टंकियों की साफ सफाई करना, गर्मियों के मौसम में विद्यार्थियों को ठंडा पेयजल उपलब्ध कराने हेतु मटकों की व्यवस्था करने का दायित्व सौंपा गया था। इस मामले में वांछित प्रगति नहीं परिलक्षित हुई।
कलेक्टर श्री दिलीप कुमार यादव द्वारा समीक्षा के दौरान इन सभी विभागों द्वारा इस अभियान में कोई भी गतिविधियां एवं कार्य नहीं किये जाने और किये गए कार्यों को जानकारी से अवगत नहीं कराये जाने तथा जल गंगा संवर्धन अभियान के कार्यों में रुचि नहीं लेने, साथ ही इन कार्यों में प्रगति लाने हेतु कोई प्रयास नहीं किये जाना पाया गया। इन कृत्यों को वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशों की अवहेलना माना एवं म.प्र. सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के विपरीत पाया गया जो कि शासकीय कार्यों के प्रति उदासीनता व लापरवाही का द्योतक है।
जारी कारण बताओ नोटिस में कलेक्टर श्री यादव ने 7 दिवस के अंदर स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। साथ ही समय-सीमा में जवाब संतोषप्रद अथवा प्रगति प्राप्त न होने की स्थिति में इन विभागों के जिलाधिकारियों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही प्रस्तावित की जावेगी।