रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। पं रामलाल शर्मा स्मृति समारोह के अंतर्गत पंच दिवसीय ज्ञान सत्र के तीसरे दिवस व्यास गादी से अपने प्रवचनों का प्रारंभ करते हुए मानस रत्न पूज्य पं रामगोपाल तिवारी जी ने कहा कि व्यक्ति को आत्म कल्याण के पद पर अग्रसर होने के लिए देह तत्व के चिंतन की ओर आगे बढ़ना होगा। तुलसीदास जी रचित रामचरितमानस में देह और विदेह के समानता जैसे की ओर संकेत करते हुए पूज्य मानस रत्न जी मनुष्य कृपा प्रसंग की व्याख्या करते हुए अव्यक्त परमात्मा के प्रत्यक्ष दर्शन की लालसा व्यक्त करते हैं। जनकपुर में महाराज जनक जो की परम ज्ञानी है वह दैहिक सौंदर्य की प्रशंसा करने लगते हैं भूसुंडी जी भी बालक राम के उपासक हैं जिनके मन में श्री राम बसे हैं इस तरह जब परमात्मा स्वरुप से रूप के द्वारा व्यक्त होते हैं तब देह और विदेह का अंतर मिट जाता है। प्रवचन श्रंखला को आगे बढाते हुए आपने अशोक वाटिका में विराजमान माता जानकी की स्थिति का निरूपण किया , लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए प्रभु चरणों में समर्पण आवश्यक है।
रामकृपा से ही व्यक्ति रामकथा श्रवण का अधिकारी होता है ।
जीवन का लक्ष्य क्या है इसकी और बड़े केंद्रीय विषय में वैदेही दर्शन को आगे बढ़ते हुए अपने पंचवटी से अशोक वाटिका की ओर ले चलते हैं, जीव जब तक भक्ति को प्राप्त नहीं करता अनुकूल और असहाय बना रहता है ,ईश्वर देह हैं या विदेह ? सत्य क्या है झूठ क्या है जो यह सत्य है इसका अभाव नहीं हो सकता , जो झूठ है वह प्राप्त नहीं हो सकता जो पहले भी नहीं था उससे आगे नहीं रहेगा अर्थात वह सत्य नहीं है ,सृष्टि की जड़ होने से शाश्वत सत्य नहीं है। प्रारम्भ में पूज्य तिवारी जी का स्वागत विधायक डॉ सीतासरन शर्मा के साथ जनपद अध्यक्ष भूपेंद्र चौकसे , मण्डल अध्यक्ष सागर शिवहरे , महेश चौकसे , नगर पालिका उपाध्यक्ष अभय वर्मा , चंदन साहू , नूतन अग्रवाल ने किया । कार्यक्रम के प्रारंभ में भजनांजलि के अंतर्गत ऋत्विक राजपूत द्वारा सुंदर भजन की प्रस्तुति की गई हारमोनियम पर आदित्य परसाई एवं तबले पर उत्कर्ष तिवारी ने संगत की। कार्यक्रम का समापन सामूहिक प्रार्थना अब सौंप दिया के द्वारा हुआ कार्यक्रम का संचालन डॉ संजय गार्गव ने किया ।