समय पर नहीं खुलती दुकानें समय पर नहीं होता खाधान्न बितरण समय पर खाधान्न बितरण ना पर होती है लापरवाही दिसंबर का जनवरी में जनवरी का फरवरी में होता है वितरण फिर भी हो जाता है खाधान्न खत्म आखिर कहां जाता है गरीबों का खाधान्न या जमुना प्रसाद राय और खाघ अधिकारी की मिली भगत से चलता है यह खेल हर माह खाधान्न बितरण नहीं होता हर माह गरीबों के हर माह फिंगर लगाकर पर्ची काटी जाती है फिर दर बदर भटकते रहते हैं लोग 1माह मे 1या 2दिन के लिए खुलती है दुकाने वैसे तो जमुना प्रशाद राय पर दिखावटी कई बार कार्यवाही कि गई है जो कागजो कि खानापूर्ती तक सीमित रह जाती है और कोई ठोस कार्यवाही न होने से हौसले जस के तस बने रहते है एक तरफ राज्य सरकार और केंद्र सरकार गरीबो के लिए अनेक योजनाए चला रही है कि कोई भी गरीब अनाज व शासन कि योजनाओ से बंचित न रहे तो दूसरी तरफ कुछ ज़िम्मेदार अधिकारियो कि मिली भगत से गड़बड़ घोटाला कर कर गरीबों के हक पर ढांका डाला जा रहा है जिसकी शिकायतो के बाद भी कोई कार्यवाही न होने से गरीब जनता के अरमानो पर पानी फिर जाता है और थक हार कर हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाता है आखिर क्यो नही सुधर रही सहकारी उचित मूल्य कि दुकानो कि व्यवस्थाए
रिपोर्टर संतोष चौबे