कटनी (1जून)- जिला पंचायत के सीईओ शिशिर गेमावत के निर्देश पर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता हेतु निरंतर प्रयास किए जाकर राज्य शासन की मंशा के अनुरूप दुर्गंध युक्त पानी और गीला ,सूखा कचरा के निस्तारण हेतु नाडेप एवम् सोकपिट निर्माण और अन्य आवश्यक व्यवस्थाऐं की जा रही हैं। जनपद पंचायत बड़वारा के अंतर्गत ग्राम चपहनी में कही पर गंदे और दुर्गंध युक्त पानी का भराव एवं कीचड़ दिखाई नहीं पड़ता है। इस वजह से ग्राम साफ सुथरा, और अक्सर होने वाली विभिन्न प्रकार की बीमारियों से मुक्त होने के साथ-साथ वाटर रिचार्ज में भी वृद्धि हुई है। स्वच्छ भारत अभियान के जिला प्रबंधक कमलेश सैनी ने बताया कि
स्वच्छ भारत अभियान ग्रामीण के द्वितीय चरण में ग्रामों में ग्रे- वाटर प्रबंधन की नवीन व्यवस्था प्रारंभ की गई है जिसके तहत घरों से निकलने वाला गंदा पानी व्यवस्थित नालियों के माध्यम से बहते हुए निर्मित जल स्थिरीकरण तालाब में संग्रहित हो रहा है। ग्राम में उपलब्ध हैण्ड पंप व स्कूल तथा आंगनवाड़ी के पास अनुपयोगी जल भराव होता था। ऐसे स्थानों पर अभियान के तहत सोकपिट का निर्माण एसबीएम एवं 15वे वित्त की उपलब्ध राशि से ग्राम पंचायत के माध्यम से कराया गया है। जिससे ग्राम में जगह-जगह पर गंदा जल भराव से उत्पन्न होने वाले मच्छर व कीटों से मुक्ति मिल गई है बल्कि ग्राम में वाटर रिचार्ज में आश्चर्यजनक सफलता मिली है। ग्राम चपहनी अब स्वच्छ , सुंदर और मनभावन दिखाई पड़ता है। पहले ग्राम के सार्वजनिक स्थलों एवं हैंडपंपों के पास सोकपिट नहीं होने से गंदे जल का भराव एवं कीचड़ बना रहता था जिससे ग्राम में बदबू व मच्छर का प्रकोप बना रहता था गांव अस्वच्छ नजर आता था था किंतु अब
ग्राम की तस्वीर बदल गई है। स्वच्छ भारत अभियान के जिला समन्वयक कमलेश सैनी और सहायक यंत्री एस के खर्द बताते हैं कि स्वच्छ भारत अभियान के तहत ग्रामों में ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन के कार्य जनपद अंतर्गत सभी ग्रामों में कराए जा रहे हैं। विकासखंड बड़वारा की एसबीएम की खंड समन्वयक बबीता सिंह बताती है कि ग्रामों में निकलने वाला कचरा निपटान हेतु जगह-जगह नाडेप टाकों का निर्माण कराया जा रहा है एवं गंदे जल के उचित निपटान हेतु सोक पिट, ग्रे-वाटर चैनल के साथ ही ग्रे-वाटर प्रबंधन हेतु जल स्थिरीकरण तालाबों जैसी बड़ी संरचनाओं का निर्माण भी अभियान के अंतर्गत कराया जा रहा है। गांव- गांव नाडेप ,सोकपिट एवं अन्य कार्य वृहद संख्या प्रगति रत हैं,जिन्हें पूर्ण कराने हेतु सतत रूप से आवश्यक और संभव प्रयास किए जा रहे हैं।