रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। जिला मुख्यालय पर बहुमूल्य हो चुकी शासकीय जल संसाधन विभाग की नहरों की जमीनों पर किए जा रहे अतिक्रमण की जांच सहित नहरों को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए शहर के समाजसेवी और बिल्डर लक्ष्मण बेस द्वारा कलेक्टर को पत्र लिखकर कार्यवाही की मांग की है। बिल्डर लक्ष्मण बेस द्वारा कलेक्टर को लिखे गए पत्र में आग्रह किया गया है कि शासकीय नहरों पर हो रहे अतिक्रमण को रोका जावे। जिससे शासन को तो नुकसान हो ही रहा है, किसानों को भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। अतः नहरों पर होने वाले अतिक्रमण की जांच कर इन नहरों को अतिक्रमण मुक्त कराए जाने की व्यवस्था की जाए। कलेक्टर को लिखें पत्र में निवेदन किया गया है कि ग्राम डोंगरी, जलालाबाद, कुलामढ़ी, रायपुर, रसूलिया, बुधवारा में जहां-जहां शासकीय नहर हैं, उन पर अज्ञात लोगों द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है। जिससे शासन को नुकसान हो रहा है,साथ ही किसानों को समस्या का सामना भी कर रहा है। अतः नहरों पर होने वाले अतिक्रमण की जांच कर उन्हें अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए। सूत्रों की माने तो बिल्डर लक्ष्मण बेस द्वारा दिए गए आवेदन की खबर के बाद से हड़कंप मच गया है। अवगत हो कि जल संसाधन विभाग की नहर की जमीन पर शहर से लेकर गांव तक लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। मालाखेड़ी, जेल रोड, रसूलिया इलाके में तो मकान बना लिए हैं। कालोनियों के बीच भी नहर की जमीन दवा ली गई है। विभागीय अधिकारी भी अतिक्रमण की बात मान रहे हैं। लेकिन कार्यवाही नहीं कर पा रहे हैं। वही जल संसाधन विभाग के अधिकारी रसूखदारों द्वारा किए गए कब्जों को लेकर भी विभाग के पास अतिक्रमण हटाने का पावर नहीं होने की बात कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं। विभाग का कहना है कि हमने अतिक्रमणकारियों को नोटिस जारी किए हुए हैं। माखननगर रोड पर तो जिंद बाबा के पास नहर किनारे गेट लगाकर अतिक्रमण किए जाने का मामला भी पिछले दिनों काफी चर्चा में रहा था। डबल फाटक के पास इटारसी रोड पर भी नहर की जमीन पर लोगों द्वारा कब्जा किया जा रहा है। आश्चर्य का विषय है कि जल संसाधन विभाग अपनी करोड़ों रुपए की बहुमूल्य हो चुकी नहर की जमीनों पर हो रहे अतिक्रमण पर कार्यवाही नहीं कर पा रहा है या यह विभाग के जवाबदारों की मिलीभगत से खेल चल रहा है जो सिर्फ नोटिस तक सीमित नजर आता है। दूसरी तरफ कलेक्टर को लिखे गए पत्र के बाद जनहित और शासन हित में समाजसेवी और बिल्डर लक्ष्मण बेस द्वारा लिखे गए पत्र की सराहना भी हो रही है। जिला प्रशासन इस पत्र के माध्यम से निर्धारित क्षेत्रों की जांच करता है तो करोड़ों रुपए की शासन की बहुमूल्य जमीन अतिक्रमण से मुक्त कराई जा सकती है।