सीमा कैथवास की रिपोर्ट
व्यासपीठ से महाराज श्री ने कहा कि कलियुग में कल्याण व भगवत चरणों को प्राप्त करने का साधन एक भाव हरि नाम है । उन्होंने कहा हमें भगवान से भक्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं मांगना चाहिए —
नर्मदापुरम । श्रीमद् भागवत कथा में चौथे दिवस मगंलवार को कथावाचक परम श्रद्धेय पंडित संतोष जी महाराज ने अपनी सुमधुर चिर परिचित शैली में कथा का रसपान श्रोता भक्तों को करवाते हुए चतुर्थ दिवस गुरुवार को भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भगवान श्री कृष्ण की जन्म की कथा का जीवंत प्रस्तुतीकरण पात्रों के साथ किया गया। जिसका श्रद्धालु भक्तों, दर्शकों ने भरपूर आनंद लिया। वसुदेव के पात्र ने पीत वस्त्र धारण किए हुए बाल श्री कृष्ण की अपनी टोकरी में रखकर कथा स्थल पहुंचे। जब बालक कृष्ण को सुसज्जित टोकरी में जैसे ही उठाया दर्शक भक्त उठकर नाचने लगे। कृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर भगवान को माखन मिश्री का भोग लगाया। साथ ही मंगल गीत गाकर नृत्य भी किया बधाई गीत गाए गए और नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की, जैसे जयकारों से परिसर गूंज उठा। व्यासपीठ से महाराज श्री ने कहा कि कलियुग में कल्याण व भगवत चरणों को प्राप्त करने का साधन एक भाव हरि नाम है। उन्होंने बताया कि हमें भगवान से भक्ति के अतिरिक्त और कुछ नहीं मांगना चाहिए। इसके अलावा कथा में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म कैसे हुआ और जन्म के बारे में श्रीमद्भागवत कथा के माध्यम से विस्तृत वृत्तांत बताया।कथा में वामन अवतार की कथा एवं जीवंन्त झांकी भी सजायी गयी।
कथा के मध्य महाराज श्री के कर्णप्रिय भजनों पर श्रोता भक्त मंत्र मुग्ध हुए बिना नही रह सके।
कथा से पूर्व भागवत कथा ग्रन्थ का बलराम मासकोले परिवार के सहित परिवारजन ने विधि विधान के साथ किया।श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन 16 से 22जनवरी तक किया जा रहा है जिसका समय अपरान्ह 12 बजे से सायं 4 बजे तक का रखा गया है।