प्रदीप गुप्ता/ नर्मदापुरम/ (गुजरात) गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा के पास जिला जिसे नंदुरबार के नाम से जाना जाता है। इस जिले की शहादा स्थान पर श्री नारायणपुरम तीर्थ का उदय हो रहा है। जहां पर इस तीर्थ का उदय हो रहा है। वहां मां ताप्ती और मां गंगा दोनों का संगम है साथ ही सतपुड़ा की वादियां भी है। इस तीर्थ की प्रथम शिला रखने का मौका गुजरात प्रचार पर गए मध्यप्रदेश सरकार के कृषि मंत्री एवं किसान नेता कमल पटेल को मिला। मंत्री पटेल के साथ इस तीर्थ के प्रमुख संस्थापक व प्रवर्तक लोकेशानंद महाराज, साध्वी मां कनकेश्वरी देवी के सानिध्य में वेदों मंत्रोचार के साथ मंदिर निर्माण की पहली शिला रखी गई। धार्मिक कार्यक्रम के अवसर पर मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने धर्मप्रेमी जनता को संबोधित करते हुए कहा कि भगवान श्री नारायण के विषय में हमारे गुरुजन, ग्रंथ और वेद पुराण बताते हैं कि जिसका कोई जन्म नहीं, इसका कोई माता-पिता नहीं। जब से यह ब्रह्मांड और आकाशगंगा है। तब से हमारे आराध्य देव स्वयंभू भगवान विष्णु है। इस उदय तीर्थ की स्थापना का जो प्रकाश प्रज्वलित होगा। वह हमारे राष्ट्र और समाज के लिए एक अमृत साबित होगा। इस उदय तीर्थ से जो धर्म का प्रकाश देश के नागरिकों तक पहुंचेगा उससे राष्ट्रभक्ति, धर्म शक्ति के साथ सशक्त भारत की परिकल्पना साकार होगी। दूसरी ओर इस तीर्थ की नीव रखने वाले श्री नारायण भक्ति पंत के प्रवर्तक आचार्य सद्गुरु लोकेशा नंद महाराज हैं। पूज्य आचार्य गृहस्थ संत लोकेशानंद कहते हैं कि कलयुग में जिस प्रकार धर्म आडंबर की आड़ में लोगों ने व्यक्ति पूजा को महत्व दिया, जिस तरीके से आडंबर फैलाया है। उसके विपरीत हमने इन हिंदू मिशनरियों को यह बताना है कि धर्म में व्यक्ति नहीं सनातनी श्री नारायण की पूजा होना चाहिए और उनको पूजना चाहिए। इससे हमारा समाज वास्तविक धर्म से जुड़ा रहेगा। संत श्री का कहना है कि धर्म का प्रचार और श्री नारायण की पूजा दक्षिण भारत तक ही रह गई। हमारा पंथ अब इसको दक्षिण से उत्तर उत्तर से पूर्व की तरफ ले जाएगा।