पीड़ित परिजनों द्वारा अधिकारी से शिकायत के दो माह बीत जाने पर भी नहीं मिला इंसाफ
रिफर किये गाये मरीज मृत्यु बात कर आधे रास्ते में उतार कर भाग डाईवर
शासकीय एम्बुलेंस को ड्राईवर अपने घर खड़ी कर लेते हैं निजी उपयोग
सिहोरा/ जबलपुर
जबलपुर के सिहोरा सिविल अस्पताल में अनेकों वर्षों से जमें सिहोरा के स्थानीय निवासी एम्बुलेंस ड्राईवर सुनील पटेल की दबंगई इतनी प्रभावशाली है कि उसके सामने सारे नियम कानून उसके जेब में रहते हैं, वो जो चाहे करे उसका कोई कुछ नहीं कर सकता, मामला सत्रह सितम्बर दो हजार बाइस का है सिहोरा सिविल अस्पताल से एक मरीज गेंद लाल चौधरी को जबलपुर मेडिकल कॉलेज रिफर किया गया,जिसे सरकारी एम्बुलेंस से ड्राईवर सुनील पटेल लेकर गया,और आधे रास्ते में ड्राईवर सुनील पटेल ने ये कहकर मरीज को नीचे उतार दिया कि ये मृत हो गया है, मरीज के परिजनों की लाखों मिन्नतों के बाद भी वो नहीं माना,जब अन्य राहगीरों ने जोर दिया तो उसके द्वारा कहा गया
कि ,मैंने प्राइवेट एम्बुलेंस वाले को फोन कर दिया है, उसे दो हजार रुपए दे देना वो छोड़ देगा, अंततः सुनील पटेल के द्वारा आधे रास्ते में समय बर्बाद करने के कारण, हमारे मरीज ने लगभग एक घंटे बाद , सुनील पटेल द्वारा नीचे उतारे स्थान पर ही दम तोड़ दिया,तब तक सुनील पटेल द्वारा बुलाई गई , उसके भाई की प्राइवेट एम्बुलेंस क्रमांक एम पी बीस ,डी ए छब्बीस उन्तालीस, आ गई ,जिससे मरीज को लेकर हम लोग अपने घर आ कर ,अंतिम संस्कार कर दूसरे दिन सिहोरा अस्पताल पहुंच, सुनील पटेल द्वारा बीच रास्ते में जीवित मरीज को मृत बता कर ,नीचे उतार समय बर्बाद करने के कारण ,हमारे मरीज की मृत्यु होने की शिकायत डाक्टर साहब को दी, जबकि स्वास्थ्य विभाग के नियम अनुसार एम्बुलेंस ड्राईवर को, रिफर किए मरीज को आगे के रिफर किए अस्पताल तक छोड़ने की जवाबदारी होती है, मरीज जीवित है या मृत घोषित करने का अधिकार डाक्टर को होता है, पोस्ट मार्टम आवश्यक है या नहीं ये भी डाक्टर तय करता है,मगर यहां ड्राईवर सुनील पटेल ने कमीशन कमाने के चक्कर में सारे नियम कानून को सूली पर चढ़ा कर ,समय बर्बाद कर एक मरीज को बेमौत मरने पर मजबूर कर दिया, इस ड्राईवर की मनमानी और दबंगई इतनी प्रभावशाली है कि ,सांसद द्वारा प्रदत्त एम्बुलेंस रात्रि में, अपने निजी उपयोग में लिया जाता है और रात में, एम्बुलेंस घर पर ही खड़ी रखता है, जिससे मरीजों को अविलंब लाने ले जाने में कठिनाई के साथ साथ, समय की बर्बादी से अनेकों मरीज को जान गंवानी पड़ती है, अब देखने वाली बात ये है कि ड्राइवर सुनील पटेल के, नियम विरुद्ध अनैतिक तरीके से पैसा कमाने, कर्तव्य के प्रति मनमानी, और लापरवाही बरतने, शासकीय वाहन का अपने निजी उपयोग में करने, मरीज को निर्धारित अस्पताल ना छोड़ कर, कमीशन कमाने के चक्कर में आधे रास्ते में ही उतार, समय बर्बाद कर मरीज की जान लेने और मृतक के परिजनों द्वारा शिकायत करने पर, सिहोरा सिविल अस्पताल के अधिकारी द्वारा कठोर दण्डात्मक कानून कार्यवाही नहीं की गई,जिस सम्बंध में मृतक के पुत्र हरिश्चंद्र वा उसकी पत्नी ने आज पुनः, लिखित आवेदन सिहोरा सिविल अस्पताल अधिकारी को दिया गया, हमारे संवाददाता रिजवान मंसूरी को सिहोरा बी एम ओ गायकवाड़ ने बताया कि , हमारे द्वारा उपरोक्त संदर्भ में पूर्व में की गई शिकायत पर, की गई कार्यवाही में ड्राईवर को कारण बताओ नोटिस जारी कर ,सम्पूर्ण जानकारी अठारह अक्टूबर को ,सी एम एच ओ जबलपुर को ,अग्रेषित कर दी गई है,इस सम्बन्ध में आगे की कार्यवाही अब उनके अधिकार क्षेत्र की है,जबकि पूर्व में कलेक्टर महोदय द्वारा अस्पताल में व्याप्त अनियमितताओं, अव्यवस्थाओं पर नाराजगी जताते हुए फटकार भी लगाई गई थी, अब सवाल ये उठता है कि ,इतनी बड़ी और इतनी गम्भीर घटना की शिकायत किए ,लगभग डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी ,भ्रष्ट ड्राईवर सुनील पटेल के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं किया जाने से, इन सभी अनियमितताओं में कहीं वे स्वास्थ्य अधिकारी भी संलिप्त तो नहीं है, जिन्हें ड्राईवर सुनील पटेल द्वारा अनियमितता बरतने के कारण ,मरीज को मरने के लिए बीच रास्ते में ही उतार दिया