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प्रदेश में सर्प-दंश से व्यापक जन-हानि होती है। पिछले वर्ष प्रदेश में 2 हजार 500 से अधिक लोगों की मौत सर्प दंश से हुई है। राज्य शासन द्वारा सर्पदंश को स्थानीय आपदा घोषित किया गया है। सांपों के प्राकृतिक निवास में पानी भर जाने से सर्पदंश की घटनाएँ बरसात के मौसम में बढ़ जाती हैं। इस दौरान सांप अधिक सक्रिय हो जाते हैं और मानव बस्तियों के नजदीक आ जाते हैं। अतः सर्पदंश की घटनाओं से जन-हानि के बचाव व नियंत्रण करने के लिए पंचायत व शहरी वार्ड स्तर पर विभिन्न माध्यमों से जनजागृति तथा प्रशिक्षण करने के निर्देश है।
पंचायत, शहरी वार्ड स्तर पर सर्पदंश से बचाव से संबन्धित जनजागृति कार्यक्रमों का आयोजन स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से किया जावें।
साथ ही कहा कि सर्पदंश से बचाव तथा प्राथमिक उपचार संबंधित सुझाव का विभिन्न माध्यमों से प्रचार-प्रसार हो।
स्कूलों और कॉलेजों में सर्पदंश के खतरों एवं प्राथमिक चिकित्सा के बारे में जागरुकता कार्यक्रम आयोजित की जायें।
पंचायत सदस्यों, सिविल डिफेंस, आपदा मित्र वालंटियर और ग्रामीण स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के लिए सर्पों के विभिन्न प्रजातियों की पहचान तथा सर्पदंश के प्राथमिक उपचार एवं प्रबंधन पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएँ।
सर्प-दंश की घटनाओं में देखा गया है की बहुत सारे लोग सर्प-दंश के बाद अस्पताल नहीं जाकर झाड-फूंक में महत्वपूर्ण समय खो देते हैं। अतः नागरिकों को यह समझाइश दी जाये की सर्प-दंश के बाद उन्हें क्या करना और क्या नहीं करना है।
कृषि विभाग द्वारा आयोजित चौपाल तथा स्थानीय कार्यकर्मों में सर्प-दंश से बचाव सम्बन्धी प्रचार प्रसार भी की जाये ।
प्रशिक्षित स्नेक कैचर्स, सर्प मित्रों की पंचायत एवं वार्ड स्तर पर उनकी तैनाती तथा हेल्प लाइन नंबर जारी करना ।
पंचायत तथा वार्ड कार्यालय स्तर पर हेल्प लाइन नंबर जारी किए जाएँ तथा इस नंबर का प्रचार प्रसार विभिन्न माध्यमों से नागरिकों को प्रदान किए जाएँ ।
हेल्पलाइन के माध्यम से ग्रामीणों को निकटतम अस्पताल या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की जानकारी दी जा सकती है, जहां एंटीवेनम और अन्य आवश्यक उपचार उपलब्ध हो। साथ ही सर्प-दंश पीड़ितों के उपचार की व्यवस्था हो।
जन सामान्य को मकानों के चारों ओर की सफाई रखने एवं संभावित सांपों के छिपने के स्थानों के साफ-सफाई का सुझाव दिया जाए। ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों एवं जंगलों में काम करने वाले लोगों को सुरक्षित वस्त्र जैसे कि लंबे बूट और मोटे दस्ताने पहनने की सलाह दी जावें। सर्पदंश से सुरक्षा के उपाय सही तरीके से करने के निर्देश दिये गये है।
सर्प दंश के लक्षण
सांप के डसने या काटने से अलगअलग लक्षण दिखाई देते हैं। जिसमें काटने वाली जगह पर दर्दसूजन, काटने के स्थान पर छिद्र या दांत के निशान, लालिमा या नीला पड़ना, उल्टी जी मिचलाना, अकड़नकंपकपी, एलर्जी, स्किन कलर में चेंज, पेट दर्द, दस्त, बुखार सिरदर्द, काटने वाली जगह काली पड़ने लगी हो, कमजोरी, प्यास लगना, लो बीपी, घाव से खून वहना, अंगों के आसपास के हिस्से का सुन्न पड़ना, यदि सांप जहरीला है तो पीड़ित को आँखें खोलने तथा बोलने में कठिनाई होगी तथा पेशाब में, खून बहने, सांसें रुकने लगेंगी खून तथा अंगो के काले पड़ने की भी संभावना रहती है।
सर्प दंश के बाद क्या करें
सर्पदंश के समय घबराएं नहीं, पीड़ित को आराम दें और जितना संभव हो उतना कम हिलें, घबराने से हृदय की गति बढ़ जाती है, जिससे विप का फैलाव तेजी से हो सकता है, सर्पदंश स्थल को स्थिर रखें, सर्पदंश स्थल को हृदय के नीचे रखें और उसे स्थिर रखें, जिस अंग पर काटा गया है, उसे हिलाने से बचें, जल्द से जल्द निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल पहुंचें, समय पर चिकित्सा सहायता प्राप्त करना महत्वपूर्ण है, सर्पदंश स्थल को साफ और खुला रखें, घाव को साफ और खुला रखें ताकि हवा लग सके, ढीली पट्टी बांध सकते हैं, लेकिन रक्तप्रवाह को बंद न करें, यदि संभव हो, तो सांप की पहचान करने की कोशिश करें, सांप को पकड़ने या मारने की कोशिश न करें, बस उसके रंग, आकार, और अन्य विशेषताओं को याद रखें।