देखे VIDEO नॉन अल्कोहल फैटी लीवर डिजीज(NAFLD) की स्क्रीनिंग एवं उपचार को गुणवत्तापूर्ण संचालित किये जाने हेतु प्रदेश में स्वास्थ्य यकृत मिशन का शुभारम्भ शासन द्वारा 21 मई को किया गया है । जिसके अग्रिम चरण में चिकित्सा अधिकारी, सीएचओ, एएनएम एवं आशाओ का ऑनलाईन प्रशिक्षण का संचालन(वेबएक्स) के माध्यम से किया जाना था जिसमें प्रशिक्षक के रूप में (ILBS) के विशेषज्ञ उपस्थित होकर स्वस्थ यकृत मिशन एनसीडी कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के सभी सीएचओ,आशा सुपरवाईजर का
ऑनलाइन प्रशिक्षण मैं उच्च जोखिम जानने के लिए कमर का माप सही तरीके से कैसे करें, उच्च जोखिम किन लोगों को है। नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज भारत में हर 3 में से 1 वयस्क को प्रभावित करता है। उसकी जाँच कैसे की जाए,
अभियान के दौरान 30 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों की जाँच करना, जिसमें मोटापा का समय पर पता लगाने से फैटी लीवर के जोखिम की पहचान और नियंत्रण, लीवर कैंसर की प्रगति को कम करना, जीवन शैली में बदलाव उपचार का मूल आधार है, साथ ही उच्च रक्तचाप, मधुमेह की जाँच कर उनका उपचार का प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं को स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार किया जाना था । प्रशिक्षण को सुचारू रूप से ऑन लाईन प्रशिक्षण हेतु आवश्यक ओडियों विजुअल की व्यवस्था को पूरा करना पूर्ण जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग अधिकारी की होती है l
परंतु कटनी जिले के रीठी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र मैं यह प्रशिक्षण 27 मई को दोपहर
2 से 4 बजे तक प्री ,टेस्ट और पोस्ट टेस्ट ,उपस्तिथि भरकर ब्लॉक स्तर पर इनके बैठने की ब्यवस्था, प्रोजेक्टर स्क्रीन की व्यवस्था की जिम्मेदारी विभागीय अधिकारियों को सोपी गई थी। वह भी प्रशिक्षण के आखिरी मैं पहुंचे ।
किसी कारणवश प्रशिक्षण 27 मई को न होकर, जब 30 मई को किया जाता है । तो किसी को भी बैठने के लिए दरी तक नसीब नही हुई l प्रोजेक्टर स्क्रीन तो दूर की बात है । बेचारी आशाएं बिना दरी के ही, जमीन पर बैठ गई, बाकी सीएचओ और एएनएम खड़ी ही रही ।
स्थानीय मीडिया तक यह खबर पहुंचते ही अनन-फनन में फिर कुर्सियां और फर्श मांगे गए । लेकिन प्रोजेक्टर स्क्रीन की व्यवस्था नहीं हो पाई है ।
अब सोचने वाली बात यह है कि जब 27 को प्रतिक्षण होना था और वह दो दिनों बाद हो रहा तो व्यवस्थाओं में इतनी लापरवाही क्यों बरती गई,,।
हरिशंकर बेन,,