रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। हर बर्ष की तरह इस बर्ष भी हर्षोल्लास के साथ शनि जयंती मनाई जाएगी। मंदिर के पुजारी द्वारा शनिदेव के मंदिर को मंडप की तरह सजाया गया है। हर साल ज्येष्ठ अमावस्या के दिन शनि जयंती मनाई जाती है। इस साल मंगलवार को शनि जयंती है। इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शनि जयंती पर पूजा पाठ करने से अच्छे फल की प्राप्ति होती है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर मुख्य रूप से शनि-शांति के कर्म, पूजा-अनुष्ठान, पाठ और दान आदि करने से शनि व पितृ दोषों की शांति होती है। शनि चालीसा और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का भी इस दिन पाठ करने से जातकों पर शनिदेव की बहुत कृपा रहती है। शनि मंदिर के पंडित अरुण जोशी ने बताया कि मंगलवार को शनि अमावस्या एवं शनि जयंती है। इस अवसर पर मां नर्मदा के विवेकानंद घाट पर स्थित नव ग्रह शनि मंदिर में शनि जयंती मनाई जाएगी । इस दिन शनिदेव की विधि-विधान से पूजा की जाती है। शनि जयंती पर पूजा पाठ करने से अच्छे फल की प्राप्ति होगी। शनि देव को न्यायाधीश कहा जाता है। ज्येष्ठ अमावस्या तिथि पर मुख्य रूप से शनि-शांति के कर्म,हवन पूजा-अनुष्ठान, पाठ और दान आदि करने से पितृ दोषों की शांति होती है। शनि चालीसा और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का भी इस दिन पाठ करने से जातकों पर शनिदेव की बहुत कृपा रहती है। वही शनि जयंती पर विवेकानंद घाट पर विशाल भंडारे का आयोजन भी किया जाता है जिसमें हजारों वक्त भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं। पंडित अरुण जोशी के मुताबिक, शनि मनु, यमराज, यमुना और ताप्ती भाई-बहन हैं। स्कंद पुराण में लिखा है कि प्रजापति दक्ष की बेटी संज्ञा का विवाह सूर्यदेव के साथ हुआ था। संज्ञा ने मनु, यमराज और यमुना को जन्म दिया। बाद में जब संज्ञा सूर्य का तेज सहन नहीं कर पा रही थीं, तब संज्ञा ने सूर्य की सेवा अपनी छाया को लगा दिया और खुद वहां से दूर चली गईं। छाया और सूर्य की संतान के रूप में शनिदेव और भद्रा यानी ताप्ती नदी का जन्म हुआ। इस दिन शनि देव की पूजा हवन दान पुण्य करने श्रद्धालुओं पर शनि देव की विशेष कृपा होती है। शनि जयंती पर आने वाले श्रद्धालु अपनी स्वेच्छा से भंडारे के लिए दान भी करते हैं।