छिंदवाड़ा जिले की 11 जनपद पंचायतो के अंतर्गत आने वाली लगभग 790 ग्राम पंचायतों में से अधिकांश पंचायतों में इन दिनों जमकर भ्रष्टाचार मचा हुआ है क्षेत्रीय ओर ग्रामीणों की माने तो गांव में सरकार द्वारा संचालित लगभग सभी योजना में जमकर भ्रष्टाचार किया जा रहा है जिसकी निगरानी कर रहे अधिकारी भी इस भर्ष्टाचार की बहती गंगा में कमीशन का खेल खेलते नजर आ रहे हैं ग्रामीण क्षेत्रो में हो रहे विकास कार्य में जमकर अनियमितता बरती जा रही है जिस पर इंजीनियरों की भी सहभागिता से इनकार नहीं किया जा सकता है । जिले की जनपदो की प्रशासनीक व्यवस्था पूरी तरह से भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। यहा पर पदस्थ प्रशासनीक अधिकारी की लापरवाही और चढ़ावा प्रेम से पूरा सिस्टम भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। आर्थिक प्रकरण हो या सीएम हेल्पलाइन सभी कमाई का जरिया बन गया है बिना जांच के मुख्यमंत्री हेल्पलाइन की शिकायतों को फोर्स क्लोज्ड कर दिया जाता है ताकि भर्ष्टाचार को दबाया जा सके व साथ ही ग्राम पंचायतों के भर्ष्टाचार में शामिल अधिकारियों को ही जांच अधिकारी बना कर जांच करवाया जाता है जिससे भी भर्ष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है वंही भ्रष्टाचारियो के खिलाफ कोई सुनवाई और कार्यवाही नही होने से पंचायतो में चल रहे सरकारी कार्यो में जमकर उगाही करने का सिस्टम से जकड़ गया है। यहा पर चुस्त प्रशासनीक अधिकारी की पदस्थापना नही होने से पूरा जिला भ्रष्टाचार का केन्द्र बन गया है। विकासखंड में पंचायत कर्मचारियो की मनमर्जी पूरे उफान पर है सरकारी योजनाओ की स्थिति बदहाली की ओर है फर्जी आंकड़ो के सहारे सरकारी योजनाओ को कार्य कागजो पर जारी है।जिले की जनपदो में पदस्थ प्रशासनीक अधिकारी की कार्यशैली से पंचायतो की प्रशासनीक कसावट जीरो हो गई है। पंचायती राज अधिनियम के धारा 40 व धारा 92 के प्रकरण मानो इस प्रशासनीक व्यवस्था के लिये सोने का अंड़ा देने वाली मुर्गी के समान हो गया है। यहा पर एक भी प्रकरण में धारा 40 व 92 के तहत सरपंच सचिव और रोजगार सहायक पर कार्यवाही नही हुई है लेकिन ग्राम पंचायतों से जमकर वसूली जरूर हो रही है। इस कारण से सामान्य शिकायतो को जिला कलेक्टर के यहाँ जन-सुनवाई मे जाना पड़ता है किन्तु फिर से जन-सुनवाई की कागज सील मोहर लगकर वापस यहा के बदहाल सिस्टम में आ जाता है जिसके कारण से टाईम लिमिट वाला प्रकरण भी वर्ष भर पड़ा रहता है। इस बदहाल और सड़ा हुआ सिस्टम में बड़ा खेल मटेरियल सप्लायर ओर ठेकेदारों का बताया जा रहा है जिस पर वाणिज्यकर विभाग भी मेहरबान नजर आ रहा है
किस किस तरह से पंचायतो में हो रहा है भर्ष्टाचार
ग्राम पंचायतों के घटिया निर्माण के साथ साथ निर्माण कार्यो में 6 से 10 प्रतिशत तक कमीशन पर बिल लगाकर ,बिना टैक्स के बिलों पर भुगतान कर राजस्व का नुकसान ,टैक्स चोरी वाले बिल लगाकर कई मटेरियल सप्लायर गलत जीएसटी न के बिल या दो बिल बुक इस्तेमाल कर रहे है या निरस्त हो चुके जीएसटी बिल से भुगतान प्राप्त कर रहे है ऐसा ही कई मामले प्रकाश में आये है जिसमे सरपंच व सचिवो द्वारा वेंडर से सांठ गांठ कर 14 वे वित्त व 15 वे वित्त ,पंचायत दर्पण 5वा वित्त और मनरेगा से लाखो रु के फर्जी भुगतान किए जा रहे है व टैक्स चोरी मे वेंडर के सहभागी है वही दूसरी ओर लेबर के वेंडर पर सामग्री का भुगतान कर भी पंचायत राज अधिनियम का खुला मजाक उड़ाया जा रहा है शासन के स्पष्ठ निर्देश है कि पंचायत द्वारा किये जाने वाले सभी भुगतान वेंडर को उसके बैक खाते मे ही करना है अत: वेंडर का विवरण तथा उसके खाते का विवरण पूर्ण सावधानी के साथ दर्ज करें. वेंडर जिस सेवा या सामग्री को प्रदाय करने के लिये अधिक्रत है वही सेवा या सामग्री उस वेंडर से प्राप्त की जावे. वेंडर पंजीयन या उसके पश्चात इस संबंध में किसी भी प्रकार की अनियमितता के लिये सरपंच एवं सचिव संयुक्त रूप उत्तरदायी होंगे| गणतंत्र दिवस ओर स्वतंत्रता दिवस के तुरंत बाद ग्राम पंचायतों से बूंदी के नाम पर बड़े बड़े बिल निकाल कर सेकड़ो किलो बूंदी की आड़ में फर्जी आहरण देखे जा सकते है ।
इन सबकी शिकायतें लंबे समय से की जा रही है लेकिन जांच अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचारियों से मिलकर जांच में लीपापोती कर फाइलों को दबा दिया जाता है और ग्रामीण इस भ्रष्टाचारी की मार को झेलते आ रहे है अधिकारी तो जैसे शिकायत की ताक में रहते हैं कि कहीं की शिकायत मिलते ही उनके लिए मलाई की व्यवस्था हो जाती क्योंकि फरियादी शिकायत कहीं भी कर लें जांच तो आखिर ब्लॉक के अधिकारी ही करेंगे जो सरपंच सचिव से साठ-गाठ में रहते हैं अपराध मुक्त व पारदर्शी प्रशासन की स्थापना सरकार द्वारा की गई है लेकिन यह सारे दावे महज कोरी कल्पना ही साबित हो रहे हैं जनपद पंचायत में स्थिती सरकार के दावों के ठीक विपरीत दिखाई पड़ रही है यहां पर अधिकारी बेखौफ होकर भ्रष्टाचार की बहती गंगा में गोते लगाए लगाते हुए देखे जा सकते हैं। ग्राम पंचायतों में लगा भ्रष्टाचार का दीमक गरीबों के उत्थान को आने वाले सरकारी धन को चट कर रहे हैं और ग्राम पंचायतो आज भी अपनी दयनीय दशा की दास्तां बयां कर भ्रष्टाचार की दास्तान कह रही है।
*संवाददाता शुभम सहारे छिंदवाड़ा*