कटनी – कलेक्टर श्री अवि प्रसाद. ने कृषकों से अपील करते हुए कहा कि फसल काटने के बाद बचे अवशेष नरवाई को जलाने से न सिर्फ वातावरण के तापमान में वृद्वि होती है बल्कि इसके दुष्परिणाम से मृदा जनित समस्याओं से जूझना पड़ता है।
नरवाई जलाने के परिणाम किसानों के लिए आत्मघाती है। नरवाई के धुएं से कार्बन डाइऑक्साइड उत्पन्न होती है। जिससे वातावरण का तापमान भी दूषित होता है। इसलिए कृषक नरवाई जलाने के अपेक्षा फसल अवशेष को एकत्र करते हुए जैविक खाद भू-नाडेप, वर्मी कम्पोस्ट बनाये जाये। यह खाद पोषक तत्व से भरपूर होती है। किसान रोटावेटर चलाकर खेतों की गहरी जुताई करते हुये नरवाई को नष्ट कर मिट्टी में मिलाये। इससे मृदा के भौतिक, संरचना, पारगम्यता, जल धारण क्षमता एवं तापमान में सुधार होता है। जमीन की कार्बनिक पदार्थ की उपलब्धता में वृद्धि होने से जमीन को उपजाऊ बनाया जा सकता है।
नरवाई जलाने पर अन्य भीषण दुर्घटना होने की आशंका बनी रहती है। नरवाई जलाने के दौरान किसी प्रकार की घटना घटित होने पर संबंधित व्यक्ति के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही हो सकेंगी। इसके अलावा राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के प्रावधान के अनुसार किसान खेत में फसल अवशेष जलाने या जलाते हुये पाये जाने पर उसके खिलाफ दंडात्मक कार्यवाही के साथ-साथ जुर्माना लगाने का प्रावधान भी है।
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