रिपोर्ट चंद्रिका यादव चंदौली
जागेश्वरनाथ निमाताबाद श्रावण मास के मलमास की समाप्ति के बाद सातवें सोमवार व शुक्ल पक्ष के पहले सोमवार को क्षेत्र के सभी शिवालियों में जलाभिषेक कर नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया। क्षेत्र के विभिन्न शिवालयों में पहुंचे भक्तों ने भगवान शिव के साथ नागराज की पूजा अर्चना कर माथा टेका। इसके पूर्व नाग देवता की महिलाओं ने घर पर पूजा अर्चना की । नाग पंचमी के अवसर पर घर में सुख संपन्नता व समृद्धि के लिए सुबह परंपरागत तरीके से महिलाओं और लड़कियों ने शिव मंदिर में जा कर पूजा अर्चना की नागदेव का चिन्ह बना बनाकर उनकी पूजा व पुष्प अर्पित कर मनोकामना पूर्ण होने का आशीर्वाद मांगा।पंडित पद्माकर चौबे ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार जनमेजय अर्जुन के पौत्र राजा परीक्षित के पुत्र थे। जब जनमेजय ने पिता की मृत्यु का कारण सर्पदंश जाना तो उसने बदला लेने के लिए सर्पसत्र नामक यज्ञ का आयोजन किया। नागों की रक्षा के लिए यज्ञ को ऋषि आस्तिक मुनि ने श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन रोक दिया और नागों की रक्षा की। इस कारण तक्षक नाग के बचने से नागों का वंश बच गया। आग के ताप से नाग को बचाने के लिए ऋषि ने उनपर कच्चा दूध डाल दिया था। तभी से नागपंचमी मनाई जाने लगी। वहीं नाग देवता को दूध चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई। वही क्षेत्र के बुधवार ग्रामसभा में ग्राम प्रधान रामभरोस बिंद द्वारा परंपरागत दंगल का आयोजन भी करवाया गया । जहां कुश्ती दंगल में क्षेत्र के पहलवानों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इस दौरान ग्राम प्रधान रामभरोस बिंद ने कहा कि नाग पंचमी सिर्फ एक त्यौहार नहीं है यह युवाओं में उनके फिजिकल फिटनेस और फाइटिंग स्पिरिट शो करने का माध्यम भी है। इस पर्व पर ग्रामीण क्षेत्र के अखाड़ों में आयोजित होने वाला दंगल इसका उदाहरण है। वर्षो से ये अखाड़े गांवों की गंगा-जमुनी तहजीब की इस अनोखी परम्परा को जिंदा रखे हुए हैं। जहां नागपंचमी के दिन आसपास से आए पहलवान कुश्ती के दांवपेंच दिखाकर अपनी कला का प्रदर्शन करते है। इस अवसर पर राजेश कुमार, दया, कन्हैया लाल, गोविंद, सहित सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।