रिपोर्टर सीमा कैथवास
नर्मदापुरम। 25 सिविल और आपराधिक प्रकरणों का तीन माह में निराकृत करने के हाईकोर्ट के आदेश के कारण हार्ईकोर्ट और अधिवक्तागण आमने सामने है। ऐसा अनुमान था कि सोमवार को मामले पटाक्षेप हो जावेगा लेकिन कोई भी हल नहीं निकलने से अधिवक्ताओं ने मप्र राज्य अधिवक्ता परिषद के निर्णय पर न्यायालीन कार्य से विरत रहने की अवधि 29 मार्च तक बढा़ दी है। नर्मदापुरम अधिवक्ता संघ सचिव मनोज जराठे ने बताया कि यदि इस अवधि में पक्षकार और अधिवक्ता हितों में ठोस निर्णय आता है तो ठीक है नहीं तो 30 मार्च को पुनः परिषद की बैठक होगी तत्पश्चात् आगामी रणनीति तय की जावेगी। उन्होंने कहा कि सोमवार को जिला अधिवक्ता संघ नर्मदापुरम अध्यक्ष केके थापक, उपाध्यक्ष अखिलेश मिश्रा, सहसचिव ठा सुरेंद्र सिंह राजपूत, ग्रंथपाल श्रीप्रकाश दुबे, कार्यकारिणी सदस्य सीके कुरापा, राजेश चौरे, रितेश विश्वकर्मा, विजेंद्र सिंह राजपूत, वरिष्ठ अधिवक्ता प्रदीप तिवारी, सुश्री विजया कदम, योगेंद्र रावत, दिलीप नामदेव, केएल मसानिया, प्रदीप मिश्रा, राजीव दुबे, अजय तिवारी, सुशील गोयल, प्रदीप चौबे, भूपेंद्र वर्मा, नितेश गोर, जितेंद्र गौर, संजेश सिंह राजपूत, माधव हरने, धर्मेंद्र दुबे, एसआर सोनी, एनपी शर्मा, आशीष ठाकुर अनंत गौर, प्रतापरवि दुबे, राजेश अग्रवाल, रत्नेश दुबे, राम कुमार दुबे, ठाकुर प्रताप सिंह, राम कुमार गुबेरेले, दिलीप ठाकुर,, सुंदरलाल वर्मा,ललित अहिरवार, धर्मेंद्र यादव, शेखर रूसिया, रशीद खान, पुरुषोत्तम व्यास, नीता चौधरी, विकास यादव, अनुराग दुबे, आशुतोष दुबे एवं सौरभ तिवारी सहित अन्य अधिवक्ताओं ने हाईकोर्ट से पक्षकार व अधिवक्ताहितों के हितों में निर्णय वापस लेने की मांग की है। सोमवार को 328 प्रकरणों की सुनवाई नहीं हो सकी।