हरदा हमारे जीवन मे हीरा की जितनी महत्वता है उतना ही जीवन मे हरि भी जरूरी है, हीरा तो केवल खाट तक ही साथ देगा पर हरि तो घाट तक साथ देगा, मकान नही मिला और यदि मकान का पता मिल जाऐ तो हम मकान तक पहुंच जाते है ।ऐसा ही यदि भगवान नही मिले और यदि भगवान की कथा मिल गई तो कथा भी भगवान तक पहुंचा देगी, हम कथा सुनने की उम्र मे ताने सुन रहे है यह दु:ख का विषय है, हमे घर, दुकान, बहू ,गाडी, वंगला, भोजन जूता ,छाता, सव एक नंवर का पसंद है फिर कमाई दो नंवर की क्यो पसंद कर रहे है, । यदि राम का दिया है तो घर का दिया भी अच्छे से जलेगा, हमे भगवान ने सुन्दर मुंह दिया है तो मुंह बिगाड कर जीवन नही जिऐ।,अच्छा मुख बिगड गया तो जीवन भी बिगड जाऐगा, मकान तो गौमुखी वना लिया पर मकान मालिक और मालकिन सिंह मुखी है
तो सुखी कैसे रहेगे, यदि हमने बच्चो को संस्कार नही दिऐ तो वो अंतिम संस्कार भी नही करेगे।,दूध सब्जी खेती बिगड रही है तो दिख रही पर औलाद बिगड रही ये क्यो नही दिखता।फसल विगड़ गई तो दूसरे साल सुधार लेगे पर नस्ल विगड़ गई तो जीवन भर नही सुधरेगी ध्रुव प्रहलाद सवकि कथा संस्कार की कथा है,आज माथे पर और माला पर हाथ फेरने वाले बहुत कम हो गए है ।कल बालकृष्ण जी के जन्म उत्सव की कथा सुनाई जाएगी।
हरदा से श्रीराम कुशवाहा की रिपोर्ट